Facebook Like ( Like करे )
प्रेम का वो राग
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे)
उस राग की चाह ना थी,पर साज़ कुछ ऐसा बना.
की गीत खुद ही बन उठे और बन उठा प्यारा समां.
अब मौन मेरा झूम कर,गीत नया ये गता है.
बहती पवन वीणा बजती ,फिर मेघ गुनगुनाता है.
कल-कल बहती उस नदी का कैसा मादक श्रृंगार है.
न आर है ना पार है,न ये राग मल्हार है.
धक-धक धड़कता हृदय अब कर रहा है अनमना.
उस राग की चाह ना थी,पर साज़ कुछ ऐसा बना.
हर रात लम्बी.दिन तनिक सा.
चल रहा मैं एक मस्त पथिक सा.
सनसनाती वो हवाए जब कानो को छू जाती है.
तब कहीं वो दिवानी मीरा याद आती है.
उस अदृश्य प्रेम की सुन्दरता ,भला कौन करता है मना
उस राग की चाह ना थी,पर साज़ कुछ ऐसा बना.
आकाश का है रंग इसका,कैसे इसे विस्मृत करें.
चाहे रिक्तता हो,या हो मस्जिद या चाहे हो शिवाला.
चाहे प्रेमिका की गोद हो,या भले हो भरी मधुशाला.
ब्राम्हण की अनंता में,कण-कण इससे है सना.
उस राग की चाह ना थी,पर साज़ कुछ ऐसा बना.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Nitin Jain. (No copy Rights ). Powered by Blogger.
पेज अनुवाद करें. ( TRANSLATE THE PAGE )
कुछ कविताएँ जिन्होंने बहुतों को छुआ..
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) प्रेम ही तो किया था, खुद जैसे किसी से. बस परिभाषा भूल गया. राधा...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) छन भर का कवी हूँ,पर कविता मेरी छणिक नहीं . मैं तो यौवन खो दूं...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) कभी तू लडती है , तो कभी मैं लड़ता हूँ. पर लड़ाई के इस क्षितिज पर,...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) जब देखता हूँ, उन नन्हे हाथों को. जिनकी सीमाये बस दो कदम है. जि...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) भाई चलो ना साथ रहते है , घर क्यूँ बाटते हो. हमेशा से हम करीब थे,आज...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) मैं लिखता हूँ.. उन रंगों को , जो छू से जाते है. उन सपनो को, जो ...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) उस नन्ही चिड़ियाँ को, ना डर ढलती शाम से. शायद उसे पता है , वो भ...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) कल सिर्फ मैं था और तुम थी , आज ये जात कहा से आ गयी. तब हम थे ,ह...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) तुम बिन सब फीका है. सब रंग . सारे राग . रात की गहराई. और सांझ ...
-
to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे) शरहद पार पडोसी ख़फ़ा है, ज़मीन के एक टुकड़े के लिए, जो कुछ बरस पहले तारा...
0 comments:
Post a Comment