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सब फीका है



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तुम बिन सब फीका है.
सब रंग .
सारे राग .
रात की गहराई.
और सांझ का चिराग.
विरह का संगीत  देखो कितना तीखा है.
सब फीका है.
वो किशोर के गीत.
"ना मिला रे मन का मीत"
वो शाम की चाय,
और गोल-गप्पो का स्वाद.
सब फीका है.
अब बस निहारता हूँ,
कुछ पुराने पन्नो को.
चंद पुरानी बातों को .
और कुछ घायल सपनो को.
लोगों से घीरा हूँ,
फिर भी अकेला.
इस बावरे मन को देखो,
कितना कुछ इसने सीखा है.
सब फीका है.










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