Facebook Like ( Like करे )

छोटी सी आशा..




to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे)


जब देखता हूँ,
उन नन्हे हाथों को.
जिनकी सीमाये बस दो कदम है.
जिनके सपनो में गूंजता है,
टूटते मकानों का शोर,
जिनके खिलौनों का रंग,
धूमिल हो जाता  है,जब होती है भोर..
जिनका व्योम छत है.
संघर्षो से बना वो दुर्गम पथ है.
कुछ पुराने कपडे की चाह ऐसी,
धुन्द में एक आश जैसी.
मन भर उठता है,
फिर सोचता हूँ उस दृष्य को मैं,
जब एक नया सवेरा होगा,
एक सवेरा आशा का,
इक सवेरा उम्मीद का..
इक सवेरा सपनो का.
इक सवेरा अपनों का.
पर ज्योंही अगली गली में जाता हूँ.
इतिहास फिर से आता है.
नाचता -अट्टहास करता,जोर - जोर वो गता है.
की वो अमर है..वो निडर है.
बोहत लम्बा उसका सफ़र है.
हर गली -बस्ती गाँव में,
हर चाय की दुकान पर,
हर नए बनते माकन पर.
हर उस लम्बी सड़क पर,
वो मुरझाया चेहरा और वही पुराना शोर....



0 comments:

Post a Comment

Nitin Jain. (No copy Rights ). Powered by Blogger.

पेज अनुवाद करें. ( TRANSLATE THE PAGE )