Facebook Like ( Like करे )

क्रांति आती नहीं,लाई जाती है..



to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे)
क्रांति आती नहीं,लाई जाती है...
मशालों को जलाकर..
पडोसी को जगाकर..
आहटों को शोर बना कर...
पहाड़ों को आँखें दिखा कर.

तुम इसे विद्रोह कहते हो.
मैं इसे इश्क कहता हूँ.
इश्क इक मकसद से.
इश्क जीत की फिदरत से.
इश्क भोर की आशा से.
इश्क बदलाव की परिभाषा से..

तुम इसे साजिस कहते हो..
मैं इसे संघर्ष कहता हूँ.
संघर्ष कुछ विचारो से.
संघर्ष शब्द और नारों से.
संघर्ष  आज़ाद सोच  की..
संघर्ष खुद के खोज की..

तुमे इसे पागलपन कहते हो.
मैं इसे दीवानापन कहता हूँ.
दीवानगी कुछ कर जाने की.
दीवानगी खून बहाने की.
दीवानगी भीड़ से भाग जाने की.
और मौन को चीख बनाने की.

बस अब वक़्त आ गया है..
मिल कर आवाज़ उठाने की.
क्रांति के संख नाद की.
और जा जा कर सबको बताने की.
की मसाले तैयार कर लो..
इक अन्तिम प्रहार है.
ना आर है ,ना पार है..
सिर्फ शेर की दहाड़ है...

न किसी पाठशाले में पढाई जाती है..
क्रांति आती नहीं,लाई जाती है...











Nitin Jain. (No copy Rights ). Powered by Blogger.

पेज अनुवाद करें. ( TRANSLATE THE PAGE )