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अन्तर्जातीय विवाह


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कल सिर्फ मैं था और तुम थी ,
आज ये जात कहा से आ गयी.
तब हम थे ,हमारे सपने थे.
अब उंच-नीच की बात कहा से आ गयी.
 मुझे पता है तुम रोती हो,
छुप-छुप कर उन रातों में,
बीते लम्हों के साए में,
और कुछ चंद पुरानी बातों में.
मैं आऊंगा,तुझको लेने फिर.
हरी चूडिया और पायल के साथ.
तेरे पापा से कुछ बातें होंगी.
फिर मांगूंगा तेरा हाथ.
फिर वही पुरानी रातें होंगी.
और वही चाय के दो कप.
वही सुहाने सपने होंगे.
और करेंगे रात भर गप.
तू क्यूँ रोती है ,
ए पगली तू चुप  हो जा.
मैं आऊंगा.
लौट आऊंगा.




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