Facebook Like ( Like करे )

भाई चलो ना साथ रहते है , घर क्यूँ बाटते हो.....



to listen audio,click here. ( ऑडियो सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे)

भाई चलो ना साथ रहते है , घर क्यूँ बाटते हो.
हमेशा से हम करीब  थे,आज ये डोर क्यूँ काटते हो.
अभी अभी तो खुद का घर मिला है ,
चलो मिलकर सजाते है.
बिना किसी डर के  छत पे आज ,
वन्दे मातरम गाते है....
हमेशा से एक इच्छा थी मेरी ,
की तुम मुझे गज़ले सिखाओगे ...
मैं तुम्हे खीर खिलाऊंगा और,
तुम मुझे सेवैयाँ खिलाओगे.....
 नाराज़ हो? चलो मान जाओ...
ज़रा सुनो...
मुझे अच्छा लगता है,जब तुम डांटते हो....
भाई चलो ना साथ रहते है , घर क्यूँ बाटते हो..
हमारी सोच एक है,
संगीत  एक है...
शब्द एक है,
आज़ादी की जीत एक है....
तुम मेरे अस्फाक और ,
मैं तुम्हारा भगत बनकर,
चलो कल का मुल्क बनाते है..
छोडो ना , जाने दो.
दिवार पर अलग होने के ये पर्चे क्यूँ साटते हो.
भाई चलो ना साथ रहते है , घर क्यूँ बाटते हो..... 








Nitin Jain. (No copy Rights ). Powered by Blogger.

पेज अनुवाद करें. ( TRANSLATE THE PAGE )